सहारनपुर। क्षेत्र के राजपूत बाहुल्य बारह गांवों का मूल कहे जाने वाले ऐतिहासिक महत्व के गांव खुजनावर का धनराज सरोवर आज उपेक्षा का शिकार हो रहा है। यह गांव भीम व हिडिब राक्षस के बीच हुए युद्ध का साक्षी रहा है। प्राचीन काल की यादों को संजोए रखने वाले इस सरोवर का सीना मिट्टी के लगातार उठान से छलनी हो रहा है। इसे आज जल के साथ ही सुंदरीकरण की भी दरकार है।
जनपद मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर कलसिया हाईवे स्थित खुजनावर को क्षेत्र के राजपूत बाहुल्य बारह गांवों का मूल कहा जाता है। कथा प्रसंगों के अनुसार गांव के पूर्वी छोर पर स्थित सरोवर किनारे भीम व हिडिब राक्षस के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें बलशाली भीम ने हिडिब को मारकर उसकी बहन हिडिबा से गंधर्व विवाह किया था। धर्मराज युधिष्ठिर के नाम पर ही इसे धनराज सरोवर कहा जाता है।
ऐतिहासिक महत्व का यह सरोवर सौ बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है, लेकिन उपेक्षा के चलते आज यह पूरी तरह से जल विहीन है। पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे इस सरोवर से गांव के लोग मिट्टी निकालकर इसके सीने को छलनी कर रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के दिनों में इसमें वर्षा का पानी जरूर एकत्र हो जाता है, लेकिन पानी सूखने के बाद यहां से फिर से मिट्टी का दोहन शुरू हो जाता है। सरोवर के चारों ओर झाड़ियां और सात टूटी-फूटी सतियां व एक सता भी है। गांव के प्राचीन इतिहास की यादों को संजोए रखने वाले डा. इख्तियार अहमद बताते हैं कि यह सतियां संयुक्त रूप से कई गांवों के लोगों की हैं।
प्रति वर्ष राजपूत समाज के लोग इनकी पूजा करने के लिए भी आते हैं। इन लोगों ने राजस्थान के जग्गा भाट से पूछकर इन पर नाम व सन भी लिखवा दिए हैं। हमेल देवी पत्नी रुद्रसिंह 1592 में और नारंगदेवी पत्नी मामचंद 1619 में सती हुई थी। यह सभी सतियां लखौरी ईंटों से बनी हैं। प्रधान राव नौशाद का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन किसी ने भी ऐतिहासिक महत्व के इस सरोवर का सुंदरीकरण नहीं कराया है।